Friday, October 26, 2012

हम तो फिरभी शराब पीते हैं

लोग लोगों का खून पीते हैं..
हम तो फिरभी शराब पीते हैं...

यूं तो वो हमें बड़ा झूठा कहते हैं..
और खुद कहते हैं कि खुशीसे जीते हैं..

उन्हें दीवारों का शौक़ बड़ा है..
हम तो आसमां भी हटाके जीते हैं..

वो बेखबर जाम भरते रहते हैं..
हम तो उनकी निगाहों से पीते हैं..

यूं तो रोज थोडा थोडा मरते हैं..
जीते हैं मगर जबभी पीते हैं..  

हम उन ज़ख्मों को अक्सर गिनते हैं..
जिन्हे वो माफी के धागों से सीते हैं..

जीते हैं कि जिंदा हैं इसलिए नादान..
वरना कौन बताए कि क्यों जीते हैं..

- मेरी नादानगी.