स्वातंत्र्यदिनाच्या पूर्वसंध्येवर आपल्या स्वातंत्र्याचा थोडा उपभोग घेत बहुतांश मराठी असलेल्या या ब्लॉगवर थोडे राष्ट्रभाषेत लिहितो.
और अब ज्यादा कुछ ना कहते हुए इस स्वतंत्रतादिन के अवसर पर अपनी तरफसे कुछ शब्दपुष्प अर्पण करता हूँ।
इस मिट्टीसे जन्म हुआ, हम इसकी संतान है।
भारतमाता नाम है तेरा, तुझपे जान कुर्बान है।।धृ।।
खून से सिंची मिट्टी अपनी,
प्यार जहाँ को देती है।
खिलखिलाती है ये नदिया,
जीवन बहकर लाती हैं।
इरादे सबसे उँचे रखना,
हिमालय हमसे कहता है।
चरणों को माँ के छूना,
यह दर्या हमें सिखाता है।
पर्बत, नदिया या फिर दर्या, सब अपनीही शान है।
भारतमाता नाम है तेरा, तुझपे जान कुर्बान है।।१।।
मंदिर-मस्जिद क्यों बाँटे,
क्यों दिल के भी बटवारे हुए?
हरा-केसरी साथ रहे सब,
प्रगति का ही चक्र चले।
खून शहिदों का है दिखाता,
सच्चाई की सफेदी भी।
सलाम तिरंगे को करती है,
हरियाली आझादी भी।
शान तिरंगे की है रखनी, यह अपना ईमान है।
भारतमाता नाम है तेरा, तुझपे जान कुर्बान है।।२।।
अबसे नया इतिहास बनाए,
भारत की कहानी में।
दुनिया को जन्नत दिखलाए,
हिंदोस्ताँ की जवानी में।
प्रेम, अहिंसा दिखलाए हम,
शांति-ज्ञान प्रसार करे,
दुश्मन को भी सिखाए हम,
मानवतासे विचार करे।
तुझको दुनिया सलाम करे, तूही मेरा अरमान है।
भारतमाता नाम है तेरा, तुझपे जान कुर्बान है।।३।।
।। वन्दे मातरम् ।।
..राहुल.
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तुझको दुनिया सलाम करे, तूही मेरा अरमान है।
भारतमाता नाम है तेरा, तुझपे जान कुर्बान है।।३।।
।। वन्दे मातरम् ।।
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